महिलाओं का सबसे बड़ा दुश्‍मन एनीमिया

महिलाओं का सबसे बड़ा दुश्‍मन एनीमिया

सेहतराग टीम

भारत भले ही दुनिया के सबसे तेज विकास करने वाले देशों की सूची में शामिल हो और सरकारें यह दावा करें कि वो अपनी जनता की भलाई के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं मगर यह हकीकत है कि आज भी दुनिया में खून की कमी वाली सबसे बड़ी आबादी भारत में ही रहती है। खासकर महिलाओं और बच्‍चों में यह कमी सबसे अधिक पाई जाती है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अपंगता की सबसे बड़ी वजह खून में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया है। देश में महिलाओं और बच्‍चों का यह सबसे बड़ा दुश्‍मन बना हुआ है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान के पूर्व प्रोफेसर और वर्तमान में दिल्‍ली में फोर्टिस सी डॉक अस्‍पताल के निदेशक डॉक्‍टर अनूप मिश्रा sehatraag.com से बातचीत में कहते हैं कि एनीमिया को आम बोलचाल में खून की कमी के रूप में जाना जाता है। खून में हीमोग्‍लोबिन की कमी या आयरन की कमी होना एनीमिया के सबसे आम प्रकार हैं। दरअसल, शरीर में खून की कमी होने से उसी अनुपात में हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है।

हीमोग्लोबिन का काम होता है शरीर में ऑक्सीजन को एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचाना। जब यह तत्व कम हो जाता है तो स्वाभाविक रूप से शरीर के अंगों को ऑक्सीजन कम मिलने लगता है। यह ऐसी बीमारी है जिसका समय से इलाज न किया जाए तो हृदय पर दबाव पडता है और कई बार हार्ट अटैक भी हो सकता है। आम धारणा है कि यह महिलाओं में होने वाली बीमारी है मगर यह सिर्फ गलतफहमी है। यह बीमारी पुरुषों में भी होती है मगर शहरों के बजाय गांवों के मर्दों में इसका फैलाव ज्यादा है।

दूसरी ओर खून में आयरन की कमी होने के कई कारण हैं मगर इसका सबसे बड़ा कारण आज भी गरीबी ही है क्‍योंकि शरीर में प्राकृतिक रूप से आयरन की कमी को दूर करने के लिए जिस तरह के भोजन की जरूरत है वह भोजन देश की बड़ी आबादी को मयस्‍सर ही नहीं है। इस स्थिति को बदलने के लिए अब सरकारों ने बड़े पैमाने पर प्रयास शुरू किया है और स्‍कूल के स्‍तर पर ही बच्‍चों को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां साप्‍ताहिक आधार पर देने का कार्यक्रम अलग-अलग राज्‍यों में शुरू किया है ताकि बड़े होने पर इन सभी को एनीमिया के खतरे से न जूझना पड़े।

दरअसल शरीर दो तरह से एनीमिया की चपेट में आता है। पहला शरीर में किसी कारण से खून बनना बंद हो जाए और दूसरा किसी कारण से शरीर से ज्‍यादा रक्‍तस्राव हो जाए। महिलाओं में मासिक धर्म के कारण हर महीने खून की कमी होती है जिसकी पूर्ति शरीर संतुलित पोषक भोजन से खुद ब खुद कर लेता है। यदि महिलाओं को पोषण युक्‍त भोजन न मिले तो महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ जाती हैं। दूसरी ओर पुरुषों में बवासीर जैसी किसी बीमारी के कारण रक्‍तस्राव हो सकता है मगर इसके कारण एनीमिया की स्थिति बहुत देर में आती है इसलिए पुरुष इस बीमारी से आमतौर पर बचे रहते हैं। बच्‍चों में आमतौर पर संतुलित भोजन की कमी के कारण यह बीमारी होती है।

दूसरी ओर शरीर में खून बनना बंद होने की स्थिति के कारण जो एनीमिया होता है उसकी वजह कैंसर या गुर्दे आदि की बीमारी है। ब्लड कैंसर या गुर्दे की बीमारी के कारण हीमोग्लोबिन बनना बंद हो जाता है या रक्त कोशिकाएं जल्दी नष्ट होने लगती हैं। इनकी वजह से एनीमिया के फैलाव को आम एनीमिया के साथ जोड़कर नहीं देख सकते हैं।

वैसे देश में दो दशक पहले तक इस बीमारी के फैलाव का मुख्य कारण था आंतों में कृमियों हुकवर्म का पहुंच जाना। दूर दराज के गांवों में आज भी इस बीमारी का अधिक फैलाव इसलिए है क्योंकि वहां लोग आमतौर पर चप्पलों का प्रयोग नहीं करते। शौच के लिए भी बिना चप्पल के खुले में जाते हैं। इस दौरान यह हुकवर्म पैर के तलवे की त्वचा के द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं और फिर आंतों तक पहुंच जाते हैं। यह कृमि एक अन्य तरीके से भी शरीर में पहुंच सकता है। वह है दूषित भोजन। यदि सब्जियों को ठीक तरीके से धोया न जाए तो यह कृमि शरीर तक आसानी से पहुंच बना लेता है। हालांकि अब इस तरीके से एनीमिया के मामले में बहुत कमी आ गई है।

महिलाओं को तो मासिक धर्म के बाद संतुलित खान-पान की कमी के कारण शरीर में पर्याप्त खून नहीं बन पाने के कारण, बच्चे के जन्म के समय ज्यादा खून निकल जाने के कारण तथा और भी कई तरीकों से खून की कमी हो सकती है।

जहां तक इलाज का सवाल है तो यूं तो आयरन की गोलियों के जरिये इसका आसान इलाज उपलब्‍ध है मगर इसके साथ शरीर में पर्याप्त मात्रा में खून के निर्माण के लिए अच्छा तरीका यह है कि संतुलित भोजन पर ध्यान दिया जाए। एनीमिया का इलाज बेहद आसानी से उपलब्ध है। हालांकि इलाज एनीमिया की वजह का पता लगाकर किया जाता है।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।